जब मैंने अपना लक्ष्य जाना,
कागज़ के टुकड़े पर में उसे लिख डाला,
अब वो टुकडा रोज़ मैं देखता हूँ,
और एक कदम आगे बढाता हूँ,
कभी दायें और कभी बाएं भी जाता हूँ,
और एक कदम पीछे भी कभी आता हूँ,
पर एक नर्तक की तरह, मेरी आँखें एक टक, एक तरफ़ देखती हैं,
अपने लक्ष्य को।
चलते चलते कभी आँख के सामने बादल आते हैं, और कभी एक खूब सूरत नज़ारा,
ऐसे लम्हों में कभी शक उठता है ख़ुद पर, और कभी लगता है इसी मंज़र को मंजिल बना लूँ,
फिर वो कागज़ का टुकडा देखता हूँ,
माया के बादल आँख से हटाता हूँ,
अपने लक्ष्य को दूर से देखता हूँ,
कुछ पत्थर और हटाता हूँ,
और फिर अपनी राह बनाता हूँ,
एक कदम और बढाता हूँ.
Tuesday, March 24, 2009
Friday, February 6, 2009
संकल्प
आओ थोड़ा संकल्प बढ़ाएं,
पायें जो हम पाने आये,
वो भी पायें जो हम चाहें,
शक्ति संकल्प की समझते जाएँ,
आओ थोड़ा संकल्प बढ़ाएं।
करके हम वो भी दिखलायें,
करके हम ये भी दिखलायें,
शक्ति संकल्प की समझते जाएँ,
और फिर हम संकल्प बढ़ाएं।
इसको भी हम राह दिखाएँ,
उसको भी हम साथ ले जायें,
अपना सच जब "संकल्प" बन जाए,
हम फिर सबको ये सिखलाएँ,
शक्ति संकल्प की सबको समझाए,
सबका फिर हम संकल्प बढ़ाएं,
फिर सब वो पायें जो पाने आए,
उसका फिर हम शुकर मनाएं,
जिसके चाहने से हम आए।
उसने फिर उस से मिलाया,
जिसने उस तक हमें पहुँचाया।
उसके ही हम गीत गायें,
सबको साथ हम ले के जायें,
अपना परोपकार बढ़ाएं,
आओ अब हम सम हो जायें,
संकल्प से हम सब कर जायें।
पायें जो हम पाने आये,
वो भी पायें जो हम चाहें,
शक्ति संकल्प की समझते जाएँ,
आओ थोड़ा संकल्प बढ़ाएं।
करके हम वो भी दिखलायें,
करके हम ये भी दिखलायें,
शक्ति संकल्प की समझते जाएँ,
और फिर हम संकल्प बढ़ाएं।
इसको भी हम राह दिखाएँ,
उसको भी हम साथ ले जायें,
अपना सच जब "संकल्प" बन जाए,
हम फिर सबको ये सिखलाएँ,
शक्ति संकल्प की सबको समझाए,
सबका फिर हम संकल्प बढ़ाएं,
फिर सब वो पायें जो पाने आए,
उसका फिर हम शुकर मनाएं,
जिसके चाहने से हम आए।
उसने फिर उस से मिलाया,
जिसने उस तक हमें पहुँचाया।
उसके ही हम गीत गायें,
सबको साथ हम ले के जायें,
अपना परोपकार बढ़ाएं,
आओ अब हम सम हो जायें,
संकल्प से हम सब कर जायें।
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